लोकसभा में राहुल गांधी (Rahul Gandhi Speech) ने 1 दिन पहले बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को गौतम अडानी के मुद्दे पर जबरदस्त घेरा था. राहुल के इस भाषण की तारीफ सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हुई. अपने इस भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गौतम अडानी को लेकर कई सवाल किए.
इसके ठीक दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कई मुद्दों पर विपक्ष पर संसद के अंदर ही निशाना साधा. लेकिन राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद में नहीं दिए गए. प्रधानमंत्री मोदी ने गौतम अडानी का संसद में नाम तक नहीं लिया. इसके ठीक बाद राहुल ने कहा कि मैंने कोई जटिल सवाल नहीं पूछे थे. मैंने तो सिर्फ ये पूछा कि अडानी आपके साथ कितनी बार विदेश यात्राओं पर गए हैं? वहां इन लोगों की कितनी बार मुलाकात हुई है? राहुल ने कहा कि मेरे बस ये साधारण से सवाल थे, लेकिन पीएम मोदी ने इनके जवाब नहीं दिए.
राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेरे द्वारा पूछे गए साधारण सवालों के जवाब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नहीं दिया गए. तो क्या राहुल गांधी यह उम्मीद कर रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी गौतम अडानी और उनके संबंधों को लेकर या फिर गौतम अडानी पर अमेरिकी रिसर्च फर्म द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं उस पर कुछ बोलेंगे?
अगर राहुल गांधी ऐसी किसी उम्मीद को पाले हुए थे तो निश्चित तौर पर वह किसी गलतफहमी का शिकार हैं. क्योंकि राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा पहले से ही थी कि प्रधानमंत्री मोदी से गौतम अडानी के संबंधों के कारण ही वह आज अपने बिजनेस के क्षेत्र में इतने आगे तक जा पाए हैं. प्रधानमंत्री मोदी से संबंधों के कारण ही एक के बाद एक कई क्षेत्रों में लगातार काम मिलते जा रहे हैं. तो क्या यह सब बातें प्रधानमंत्री मोदी संसद में बताते, ऐसी उम्मीद कर रहे थे राहुल गांधी?
यहां पर यह भी दिलचस्प है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गौतम अडानी के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने के एक दिन बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनके भाषण को रिकॉर्ड से हटा दिया. भाषण को हटाए जाने के बाद राहुल ने पूछा कि मेरे भाषण को क्यों हटा दिया गया? इसके बाद वह संसद भवन में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़े और फिर वापस आकर बोले, नहीं मैं पूछ रहा हूं कि मेरे शब्द क्यों हटाए गए?
इसके अलावा राहुल गांधी ने कहा कि अगर गौतम अडानी उनके मित्र नहीं है तो पीएम मोदी को कहना चाहिए था कि जांच कराएंगे. शेल कंपनियां बनी है. बेनामी पैसा घूम रहा है, उस पर प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. साफ है कि पीएम अडानी को बचा रहे हैं.