अडानी ग्रुप (Gautam Adani) के शेयरों में शुक्रवार को लगातार दूसरे सत्र में भारी गिरावट देखने को मिली है. इसका असर बैंक एवं फाइनेंशियल शेयरों पर भी देखने को मिला. भारतीय बैंकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को करीब 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है. दूसरी ओर एलआईसी का अडानी ग्रुप की कंपनियों में 70000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश है.
इस कर्ज और निवेश के डूबने की आशंका से बैंकों और एलआईसी के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई. बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयरों में 7 फ़ीसदी से अधिक गिरावट नजर आई, जबकि एसबीआई का शेयर 4.9% गिर गया. देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का शेयर एक समय 4.3 फ़ीसदी तक गिर गया था, लेकिन बाद में यह 3.25 फ़ीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ.
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा है कि सरकारी बैंकों ने अडानी ग्रुप के निजी बैंकों की तुलना में दोगुना कर्ज दिया है. इसमें 40 फ़ीसदी एसबीआई ने दिया है. इससे उन लोगों का पैसा डूबने के कगार पर पहुंच गया है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई एलआईसी और एसबीआई में निवेश की है. उन्होंने कहा कि अगर अडानी ग्रुप पर लगे आरोप सही हैं तो एसबीआई जैसे सरकारी बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है.
इस बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी भी इस मामले में सतर्क हो गया है. रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक सेबी पिछले साल अडानी ग्रुप द्वारा किए गए हर एक सौदे की बारीकी से जांच करेगा. अडानी ग्रुप ने हाल में कई बड़े सौदे किए हैं. इनमें अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी लिमिटेड का अधिग्रहण शामिल है. साथी अमेरिका की शार्ट सेलर कंपनी Hindenburg रिसर्च की रिपोर्ट की भी स्टडी की जाएगी. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडानी पर कॉरपोरेट दुनिया की सबसे बड़ी धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. यह आरोप ऐसे समय आया है जब अडानी ग्रुप के शेयरों की सार्वजनिक बिक्री लांच होने वाली है. रिपोर्ट ने मॉरीशस और कैरीबियन जैसे विदेशी टैक्स हैवन में मौजूद कंपनियों पर अडानी ग्रुप की मिल्कियत पर सवाल खड़ा किया है. इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी की कंपनियों पर पर्याप्त कर्ज है जो पूरे ग्रुप को वित्तीय तौर पर बहुत जोखिम वाली स्थिति में डालता है.