कांग्रेस की तरफ से आज भारत जोड़ो यात्रा का शुभारंभ हो गया है. राहुल गांधी ऐसे वक्त पर इस यात्रा को लेकर निकले हैं जिस वक्त कांग्रेस तमाम परेशानियों से जूझ रही है. सिर्फ 2 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और बाकी दो राज्यों में वह गठबंधन में है. पिछले दिनों कई कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़कर सत्ताधारी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली, कांग्रेस पर कई आरोप भी लगाए. गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस छोड़ दी और अलग दल बनाकर वह जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
विपक्ष की तरफ से 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर रोज़ नए नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर उछाले जाते हैं. कभी नीतीश कुमार तो कभी अरविंद केजरीवाल. इसके अलावा ममता बनर्जी भी 2024 के लिए ताल ठोक रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे नेताओं के नाम पर सहमत होकर पीछे हट जाएंगे? राहुल गांधी देश से नफरत खत्म करके देश को जोड़ने की बात कर रहे हैं. वह समाज को एकजुट करके कांग्रेस के झंडे तले लाने की बात कर रहे हैं.
देखा जाए तो राहुल गांधी लंबे समय से एक विचारधारा विशेष के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. लेकिन विपक्षी पार्टियों के दूसरे नेता आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ बोलने से बचते हैं. ममता बनर्जी ने तो पिछले दिनों आरएसएस की तारीफ तक कर दी थी. अरविंद केजरीवाल ने भी कभी आरएसएस के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला. ऐसे वक्त में जब हर नेता उस संगठन के खिलाफ चुप रहता है जिस संगठन से बीजेपी निकली है, राहुल गांधी खुलकर मुखालफत करते हैं. राहुल गांधी तमाम उन लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं, जिन पर देश में नफरत को बढ़ावा देने के आरोप लगते हैं.
कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि भारत जोड़ो यात्रा की जरूरत इसलिए पड़ी है, क्योंकि विपक्ष के सामने और कोई रास्ता नहीं है. कांग्रेस का आरोप है कि तमाम संवैधानिक संस्थाएं सरकार के कब्जे में है. मीडिया उनके इशारे पर काम करता है. विपक्ष की आवाज को, जनता की आवाज को मीडिया तवज्जो नहीं देता. देश की जनता महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक के मुद्दे पर बात करना चाहती है. लेकिन मीडिया इन मुद्दों को किनारे लगाकर हिंदू मुसलमान और संप्रदायिक मुद्दों को उठाकर जरूरी मुद्दों से सत्ताधारी पार्टी को बचाता है.
पिछले दिनों राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली के दौरान साफ कह दिया था कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद आम जनता से मिलना और उन्हें सरकार की ओर से फैलाए जा रहे हैं झूठ के बारे में बताना है, उन्हें बताना है कि सरकार किस तरह केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है. मुझसे ईडी ने 55 घंटों तक पूछताछ की. लेकिन वह 100 साल तक मुझसे पूछताछ करें मुझे परवाह नहीं है. हमें इस तरह की कार्यवाही के खिलाफ खड़ा होना होगा. राहुल गांधी का इशारा साफ था कि तमाम संवैधानिक संस्थाएं सरकार के कब्जे में है, मीडिया उनके इशारे पर काम करती है. इसलिए अब जनता से सीधा कनेक्ट होना होगा.
राहुल गांधी समाज के हर तबके को जोड़कर उसकी आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं. इसी के सहारे वह 2024 की तैयारियों को भी अमलीजमा पहनाने की कोशिशों में है. लेकिन क्या जनता राहुल गांधी का साथ देगी, क्या जनता को दिखाई देगा कि जिस वक्त तमाम संस्थाएं सरकार के कब्जे में हैं, मीडिया विपक्ष को स्पेस नहीं देता, विपक्ष की आवाज को दबाने का काम करता है, ऐसे वक्त में तमाम विपक्षी पार्टियों को छोड़कर कॉन्ग्रेस का साथ देने का वक्त आ गया है?