झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में विपक्ष के हंगामे के बीच हेमंत सोरेन की सरकार ने अविश्वास मत पेश किया, जिसे जीत लिया है. हेमंत सोरेन सरकार को 81 में से 48 वोट मिले हैं. वोटिंग के वक्त विपक्ष ने वॉकआउट किया था. वही हेमंत सोरेन ने विधान सभा को संबोधित करते हुए विपक्षी भाजपा पर चुनाव जीतने के लिए दंगों को हवा देकर देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति का प्रयास करने का आरोप लगाया.
आपको बता दें कि पिछले दिनों झारखंड को लेकर कई तरह की खबरें राजनीतिक गलियारों में दौड़ती रही. कहा जा रहा था कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. तीन विधायकों को कोलकाता में गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि अब एक बार फिर से विश्वासमत विधानसभा में जीत लिया.
विधानसभा के विशेष सत्र से पहले हेमंत सोरेन ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा था कि जो जाल हमारे लिए बिछाए हैं उसी जाल में समेट कर बाहर कर दिया जाएगा. सोरेन और उनकी पार्टी ने बीजेपी पर संकट का फायदा उठाने की कोशिश करने और चुनी हुई सरकार को गिराने का आरोप लगाया है.
इस पूरे मुद्दे पर झारखंड की विपक्षी पार्टी बीजेपी का कहना है कि हेमंत सोरेन को एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए, उन्होंने खुद को खनन पट्टा लेकर चुनावी मानदंडों का उल्लंघन किया है. पार्टी ने नए सिरे से चुनाव का आह्वान किया है और मांग की है कि मुख्यमंत्री नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दें.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर राज्यपाल निर्णय लेने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हेमंत सोरेन की विधान सभा सदस्यता खतरे में है. यह दावा किया गया था कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी. एक आरटीआई में इस बात की जानकारी सामने आने पर बीजेपी ने इस पर सवाल उठाया था और राज्यपाल से शिकायत की थी.
चुनाव आयोग ने राज्य भवन को मंतव्य भेज दिया था, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चढ़ने लगी कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है. बीजेपी के विधायक दल की बैठक के बाद बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने पर कहा कि इस बैठक के लिए राज्यपाल से अनुमति नहीं ली गई है.